Thursday 26 June 2014

आकुल मन ।
अप्रत्यासित परिवर्तन पर ।
स्वयं से प्रश्न करता ।
अकारण असहज मनोदशा ।
अतिरेक परस्पर प्रेमभाव ।
आक्रोशित हिंसक झरपे ।
अतृप्त आशक्त अंतर्मन ।
अंध रिश्तों की बलिवेदी पर ।
दम तोड़ता अपनापन ।
अमानवीय होते सोंच का अंधकूप ।
अकरणीय कार्यो में अंतर्लिप्तता ।
असीमित धन संचय की आतुरता ।
अनर्गल कुविचारों की कुंठा ।
आयातीत परम्पराओं का अंधानुकरण ।
अशांत अस्थिर मनोभाव ।
अब साथ नहीं अकेलापन ।
अब आह ! नहीं अदृश्यभाव ।
अनजान शहर अनभिज्ञ लोग ।
आरोप अनेकों अंतहीन ।
इस अहंकार के आँगन में ।
असमंजस में डूबा तनमन ।

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