Wednesday 22 October 2014

दीपावली की ढेर सारी बधाइयाँ । मन का दीया जलाये । अँधेरे को तलाशे । सामर्थवान आगे आएँ । अनपढ़ को पढ़ाये । चुप है उन्हें वाणी दें । पिछड़े को आगे बढ़ाए । 

Monday 18 August 2014

श्री कृष्ण जन्मोतस्व की ढेर सारी बधाइयाँ । साकारात्मक सोंच के संचरण से इस देश का हर नागरिक संचारित हो ताकि नाकारात्मक सोंच सर्वथा नष्ट हो । कुछ बनाने को ईमानदार प्रयास प्रारम्भ हो निश्चित रूप से केंद्र में सामान्य मानवी जीवन हो। धर्म के आर में धर्मनिरपेक्षता का दुरुपयोग बंद हो। धर्म तो भारत की आत्मा है पहचन है इसे राष्ट्रीयता से अलग कर के देखना असंभव है । केवल धर्म की पढाई और यही श्रेष्ठ है ऐसा बताना और इसके लिए तुम्हें जान भी गवानी परे तो कम है धर्मान्धता है । राष्ट्रीयता का पाठ सभी धर्मो से श्रेष्ठ है बांकी उन्हें स्वयं बढ़ने दे पढ़ने दे जानने दे इस देश को इसकी आत्मा को- आप धर्म के नाम पर स्कूल चलाना बंद करे ताकि यह देश वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सके और पुनः विश्व गुरु कहला सके । 

Saturday 16 August 2014

राष्ट्र प्रथम । मानवता की रक्षा संकल्प । भारत के जन साधारण के मन में शिक्षा के महत्व को बताना ताकि वो इसके साथ आगे बढ़कर अपना जीवन सँवार सकें । शिक्षा के आलोक में हीं  सोचने का उनका  नजरिया बदलेगा । समाज के शिक्षित लोग इस कार्य में अपना योगदान दें कारण भारत के बिकास का मार्ग तभी प्रसस्त होगा । साकारात्मक सामाजिक सोच के लिए शिक्षा ही एकमात्र साधन है । तो हमसभी आगे आए और शिक्षा के दीपमाला से भारत के हर कोने को रौशन  कर अशिक्षा को हमेशा के लिए दूर भगाए । 

Friday 4 July 2014

 जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरुकता अच्छी बात है । परन्तु खानापूर्ति और अख़बार का  समाचार बनकर रह जाय , यह बुरी बात है । ऐसा नही की इस अभियान ने लोगों को सोचने पर मजबूर नहीं किया है । लोग बेहतर जीवन के लिए आशावान है । और यही कारण है कि अब एक या दो बच्चे तक  ही अपने को सीमित
 रखते हैं । 

Thursday 3 July 2014

                                  कब होगा रौशन -धनबाद 

वर्षो से इस बुनियादी जरुरत की अपेक्षा  हर धनबादवासी की होगी । परन्तु इस मार्फ़त सम्बंधित अधिकारियो  की उपेक्षा का  दंश  पूरा शहर भोग  रहा है । धनबाद के उपायूक्त का ध्यान ,इस ओर पता नहीं ,क्यों नहीं होता ? अँधेरे से डर  लगता है । धनधान्य कोयला नगरी आज भी प्रकाश सम्बंधित बुनियादी जरुरतो के लिए एक टक  देखती है । शायद कोई मसीहा  आए,और इस शहर को दूधिया रौशनी से रौशन कर जाए । अब तक  नहीं होने का  ज़िम्मेवार कौन ? सं।सद ,बिधायक ,उपायुक्त या नगर  निगम  का प्रशासक । इस शहर के जन प्रतिनीधि  का ध्यान इस ओर आकृष्ट क्यू नही होता है ?  यहाँ की जनता कभी भी इस बावत अपना   आक्रोश प्रकट नहीं कर पायी है ।इस शहर में   पदस्थापित होकर  आने वाला हर उपायूक्त अपना अभियान  माफिया से  प्रारम्भ  करता है और उसे   अधूरा छोर कर दूसरे  किसी जिले में स्थान्तरित हो जाता है । शहर की अनिवार्य बुनियादी जरुरते  कभी भी यहाँ के अधिकारियो की   सूचि में नहीं जुड़ पाई है। और यही कारन रहा है की आज भी यह शहर अपनी  बुनियादी जरुरतो के लिए टपटा रहा है । आशा है,शहर के अधिकारी धनबाद के हर कोने को रौशनी का तोहफा देकर, हमे २१वीं  सदी में होने का एहसास दिला  पाएंगे । 

धन्यवाद 

Sunday 29 June 2014

भारतीय परिवार की संयुक्त अवधारणा वर्षो पुरानी है । और संयुक्त परिवार की इस समृद्ध  परंपरा  के कारन
ही पूरे विश्व में भारतीय परिवार की एक अलग पहचान है । परंपरा परिवार का हो या साथ साथ चलने का
ऐसे समस्त चिंतन भारतीय संस्कृति की देन है । 

Saturday 28 June 2014

h

दर्द देता है ,
तेरा दीवार ।
तुम समझोगे कब ?
दर्द की आवाज़
तुम तक आ रही
सुनोगे कब ?
बंद आँखों ने
तेरे मन में बढ़ायी
दूरियां ।
बंद दरवाजों से
दम घुटता है
तुम मानोगे कब ?
बंद खिरकी के
गिरे परदों के
पीछे सोंच को
सोंचकर रोता है मन
इस दर्द को
बूझोगे कब ?

Thursday 26 June 2014

आकुल मन ।
अप्रत्यासित परिवर्तन पर ।
स्वयं से प्रश्न करता ।
अकारण असहज मनोदशा ।
अतिरेक परस्पर प्रेमभाव ।
आक्रोशित हिंसक झरपे ।
अतृप्त आशक्त अंतर्मन ।
अंध रिश्तों की बलिवेदी पर ।
दम तोड़ता अपनापन ।
अमानवीय होते सोंच का अंधकूप ।
अकरणीय कार्यो में अंतर्लिप्तता ।
असीमित धन संचय की आतुरता ।
अनर्गल कुविचारों की कुंठा ।
आयातीत परम्पराओं का अंधानुकरण ।
अशांत अस्थिर मनोभाव ।
अब साथ नहीं अकेलापन ।
अब आह ! नहीं अदृश्यभाव ।
अनजान शहर अनभिज्ञ लोग ।
आरोप अनेकों अंतहीन ।
इस अहंकार के आँगन में ।
असमंजस में डूबा तनमन ।

Monday 23 June 2014

वर्तमान की बातें सुन । सब जन सुन्दर । सब कुछ अच्छा । ऐसा सोंच बनाकर देख । प्रथम राष्ट्र है ।  यही समझ हो ।  मानवता है धर्म हमारा । राष्ट्रवाद है संस्कृति अपनी ।  चिन्तन यही बनाता चल । 
 

Thursday 12 June 2014

श्रद्धेय  प्रधानमंत्री धन्याबाद । इस  विजय के लिए ।\आशा और बिश्वास के अभ्युदय के लिए । भारत और भारतीयता के संरक्षण और  सम्बर्धन के लिए । कृषि और ग्रामीण बिकास के समग्र चिंतन के लिए । सबको मकान नल जल और प्रकाश के लिए । युवा के  हाथ हुनर और रोजगार के लिए । माताओं बहनो के सम्मान के लिए ।\स्वस्थ काया के लिए । आतंरिक एवम बाह्य सुुरक्षा के लिए । अंततः कोटिशः धन्यबाद सबको साथ लेकर एक भारत श्रेष्ठ भारत की शाश्वत संकल्प के लिए  । पुनश्च आप के सोच को साधुवाद ।\