Sunday 29 June 2014

भारतीय परिवार की संयुक्त अवधारणा वर्षो पुरानी है । और संयुक्त परिवार की इस समृद्ध  परंपरा  के कारन
ही पूरे विश्व में भारतीय परिवार की एक अलग पहचान है । परंपरा परिवार का हो या साथ साथ चलने का
ऐसे समस्त चिंतन भारतीय संस्कृति की देन है । 

Saturday 28 June 2014

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दर्द देता है ,
तेरा दीवार ।
तुम समझोगे कब ?
दर्द की आवाज़
तुम तक आ रही
सुनोगे कब ?
बंद आँखों ने
तेरे मन में बढ़ायी
दूरियां ।
बंद दरवाजों से
दम घुटता है
तुम मानोगे कब ?
बंद खिरकी के
गिरे परदों के
पीछे सोंच को
सोंचकर रोता है मन
इस दर्द को
बूझोगे कब ?

Thursday 26 June 2014

आकुल मन ।
अप्रत्यासित परिवर्तन पर ।
स्वयं से प्रश्न करता ।
अकारण असहज मनोदशा ।
अतिरेक परस्पर प्रेमभाव ।
आक्रोशित हिंसक झरपे ।
अतृप्त आशक्त अंतर्मन ।
अंध रिश्तों की बलिवेदी पर ।
दम तोड़ता अपनापन ।
अमानवीय होते सोंच का अंधकूप ।
अकरणीय कार्यो में अंतर्लिप्तता ।
असीमित धन संचय की आतुरता ।
अनर्गल कुविचारों की कुंठा ।
आयातीत परम्पराओं का अंधानुकरण ।
अशांत अस्थिर मनोभाव ।
अब साथ नहीं अकेलापन ।
अब आह ! नहीं अदृश्यभाव ।
अनजान शहर अनभिज्ञ लोग ।
आरोप अनेकों अंतहीन ।
इस अहंकार के आँगन में ।
असमंजस में डूबा तनमन ।

Monday 23 June 2014

वर्तमान की बातें सुन । सब जन सुन्दर । सब कुछ अच्छा । ऐसा सोंच बनाकर देख । प्रथम राष्ट्र है ।  यही समझ हो ।  मानवता है धर्म हमारा । राष्ट्रवाद है संस्कृति अपनी ।  चिन्तन यही बनाता चल । 
 

Thursday 12 June 2014

श्रद्धेय  प्रधानमंत्री धन्याबाद । इस  विजय के लिए ।\आशा और बिश्वास के अभ्युदय के लिए । भारत और भारतीयता के संरक्षण और  सम्बर्धन के लिए । कृषि और ग्रामीण बिकास के समग्र चिंतन के लिए । सबको मकान नल जल और प्रकाश के लिए । युवा के  हाथ हुनर और रोजगार के लिए । माताओं बहनो के सम्मान के लिए ।\स्वस्थ काया के लिए । आतंरिक एवम बाह्य सुुरक्षा के लिए । अंततः कोटिशः धन्यबाद सबको साथ लेकर एक भारत श्रेष्ठ भारत की शाश्वत संकल्प के लिए  । पुनश्च आप के सोच को साधुवाद ।\