आज का प्रेमी
मै तो प्रेम की गंगा मे गोता लगा रहा हूँ ।
मेरे तो सारे पाप धुल गए ।
अरे! देखो तो यह कौन आया ?
ये तो, मेरे माता पिता है ।
इनकी क्या जरुरत ?
इन्होने तो अपना जीवन जी लिया ।
हमें भी तो जीने दो ।
अपनी तरह ।
प्रेम की गंगा में ।
जहाँ मुझे केवल तुम ही दिखती हो ।
तुम ही तो मेरी जान हो ।
एक क्या ?
तुम्हारे ऊपर तो मै, दोस्तों के माता पिता भी कुर्बान कर दूँ ।
कहाँ हो ?
आओ ,गलें लग जाओ ।
मै तो प्रेम की गंगा मे गोता लगा रहा हूँ ।
मेरे तो सारे पाप धुल गए ।
अरे! देखो तो यह कौन आया ?
ये तो, मेरे माता पिता है ।
इनकी क्या जरुरत ?
इन्होने तो अपना जीवन जी लिया ।
हमें भी तो जीने दो ।
अपनी तरह ।
प्रेम की गंगा में ।
जहाँ मुझे केवल तुम ही दिखती हो ।
तुम ही तो मेरी जान हो ।
एक क्या ?
तुम्हारे ऊपर तो मै, दोस्तों के माता पिता भी कुर्बान कर दूँ ।
कहाँ हो ?
आओ ,गलें लग जाओ ।
धार तीव्रतर हो रही, बहे भाव की धार |
ReplyDeleteमात-पिता का इस तरह, करे पुत्र उद्धार ||
धार तीव्रतर भाव की, बही शब्द की धार |
ReplyDeleteमात-पिता का दूर से, करे पुत्र उद्धार ||
dineshkidillagi.blogspot.com par hai yah tippani aur aapka link -
aabhar
Delete