सूर्य भगवान उर्या के स्रोअत है / सूर्य जब मकर में प्रवेश करते है उसी दिन मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है/ सूर्य उसी दिन दक्चिनयन से उतरयाँ होते है/ मकर संक्रांति के दिन से दिन बढ़ने लगता है/ मन का नकारात्मक भाव samapt होने लगता है ओउर सकारत्मक भाव बढ़ने लगता है/ लोग अधिक काम करने को उद्धत होते है/ किसी भी उत्सव का do स्वरुप होता है--- बाह्य और आतंरिक/ उत्सव में आवश्यक बस्तुओ की बयवस्था बाह्य स्वरुप होता है/परन्तु आतंरिक स्वरुप से एक sandesh dhwanit होता है/ hame dhwanit sandesho को samaghana hoga taki हम उत्सव के sahi arth को apne ghar और bahar samghana hoga taki hamari samsakriti sahi artha logo को samagh में aay और हम उत्सव के sandeso के madhyam से lagatar hrash ho rahe manwiye mulwo को bacha sanke/
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