कब होगा रौशन -धनबाद
वर्षो से इस बुनियादी जरुरत की अपेक्षा हर धनबादवासी की होगी । परन्तु इस मार्फ़त सम्बंधित अधिकारियो की उपेक्षा का दंश पूरा शहर भोग रहा है । धनबाद के उपायूक्त का ध्यान ,इस ओर पता नहीं ,क्यों नहीं होता ? अँधेरे से डर लगता है । धनधान्य कोयला नगरी आज भी प्रकाश सम्बंधित बुनियादी जरुरतो के लिए एक टक देखती है । शायद कोई मसीहा आए,और इस शहर को दूधिया रौशनी से रौशन कर जाए । अब तक नहीं होने का ज़िम्मेवार कौन ? सं।सद ,बिधायक ,उपायुक्त या नगर निगम का प्रशासक । इस शहर के जन प्रतिनीधि का ध्यान इस ओर आकृष्ट क्यू नही होता है ? यहाँ की जनता कभी भी इस बावत अपना आक्रोश प्रकट नहीं कर पायी है ।इस शहर में पदस्थापित होकर आने वाला हर उपायूक्त अपना अभियान माफिया से प्रारम्भ करता है और उसे अधूरा छोर कर दूसरे किसी जिले में स्थान्तरित हो जाता है । शहर की अनिवार्य बुनियादी जरुरते कभी भी यहाँ के अधिकारियो की सूचि में नहीं जुड़ पाई है। और यही कारन रहा है की आज भी यह शहर अपनी बुनियादी जरुरतो के लिए टपटा रहा है । आशा है,शहर के अधिकारी धनबाद के हर कोने को रौशनी का तोहफा देकर, हमे २१वीं सदी में होने का एहसास दिला पाएंगे ।
No comments:
Post a Comment