manav
Wednesday, 15 September 2021
Thursday, 15 October 2020
।।यथार्थ बोध।। ।। जीवन बोध।। जीवन में उलझन का होना जीवन की कड़वी सच्चाई मार्ग ढूंढ आगे बढ़ जाना यही है जीवन की सच्चाई कम-बेशी से ऊपर जीवन संतोष है जीवन की सच्चाई मान-अपमान यश-अपयश से ऊपर जीवन की सच्चाई दान - दक्षिणा खुले हाथ से देना जीवन की सच्चाई अपनों का आंसू पोंछ सके वह हाथ है जीवन की सच्चाई हार नहीं स्वीकार्य जीतना लड़कर जीवन की सच्चाई "राष्ट्र प्रथम है सत्य" यही हो सबके जीवन की सच्चाई कमलेश... ।। भारत माता की जय।।
Saturday, 16 September 2017
रामराज की अवधारणा आज भी प्रासंगिक है | रामराज की अवधारणा भारतीय राजनीति में संसद से सड़क तक विमर्श का केन्द्रिक विषय बना हुआ है | तबका उत्कृष्ट शासन प्रणाली आज के भारत जैसे राष्ट्र के लिए अनिवार्य रूप रूप से प्रासंगिक है | रामराज शासन का ब्यवहारिक दर्शन है जिसकी सारी मान्यताएँ , निर्धारित मूल्य एवं शासकीय चिंतन भेद बिभेद एवं भय भूख रहित आदर्श मानवीय मूल्यों के संरक्छन एवं संवर्धन सजीव प्रवाह है |
Saturday, 24 October 2015
राष्ट्र-प्रथम प्रत्येक भारतीय का धेय वाक्य । संपूर्ण दर्शन । राष्ट्रीय अस्मिता । समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा । अनेकता में एकता का जीवंत भाव । अवचेतन को चेतना का सन्देश ताकि संवेदनहीनता सम्पूर्णतया समाप्त हो। साकारात्मक सोच का स्पष्ट संचरण । विचारों का व्यावहारिक विनिमय । भेद से अभेद की सुगम यात्रा । ब्यष्टि से समष्टि की ओर बढ़ने का शुभारम्भ ।
Wednesday, 22 October 2014
Monday, 18 August 2014
श्री कृष्ण जन्मोतस्व की ढेर सारी बधाइयाँ । साकारात्मक सोंच के संचरण से इस देश का हर नागरिक संचारित हो ताकि नाकारात्मक सोंच सर्वथा नष्ट हो । कुछ बनाने को ईमानदार प्रयास प्रारम्भ हो निश्चित रूप से केंद्र में सामान्य मानवी जीवन हो। धर्म के आर में धर्मनिरपेक्षता का दुरुपयोग बंद हो। धर्म तो भारत की आत्मा है पहचन है इसे राष्ट्रीयता से अलग कर के देखना असंभव है । केवल धर्म की पढाई और यही श्रेष्ठ है ऐसा बताना और इसके लिए तुम्हें जान भी गवानी परे तो कम है धर्मान्धता है । राष्ट्रीयता का पाठ सभी धर्मो से श्रेष्ठ है बांकी उन्हें स्वयं बढ़ने दे पढ़ने दे जानने दे इस देश को इसकी आत्मा को- आप धर्म के नाम पर स्कूल चलाना बंद करे ताकि यह देश वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सके और पुनः विश्व गुरु कहला सके ।
Saturday, 16 August 2014
राष्ट्र प्रथम । मानवता की रक्षा संकल्प । भारत के जन साधारण के मन में शिक्षा के महत्व को बताना ताकि वो इसके साथ आगे बढ़कर अपना जीवन सँवार सकें । शिक्षा के आलोक में हीं सोचने का उनका नजरिया बदलेगा । समाज के शिक्षित लोग इस कार्य में अपना योगदान दें कारण भारत के बिकास का मार्ग तभी प्रसस्त होगा । साकारात्मक सामाजिक सोच के लिए शिक्षा ही एकमात्र साधन है । तो हमसभी आगे आए और शिक्षा के दीपमाला से भारत के हर कोने को रौशन कर अशिक्षा को हमेशा के लिए दूर भगाए ।
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